बालक पन तैं माहौल आजादी ए हिन्द का पाया रै।
यज्ञोपवित के मौके पै यो पिताजी संदेष सुनाया रै।
देष की आजादी खातर भगत सिंह को दान किया रै
भगत सिंह नै याद राख्या बख्त पै घर छोड़ दिया रै
प्रतिज्ञा पूरी करण नै खुषी तैं आगै कदम बढ़ाया रै।
इसतैं पहलम दादी नै ब्याह की दाब बनाई थी रै
मतना दाब बनावै दादी दिल की बात बताई थी रै
जिब पार ना बसाई तै पिता को प्रण याद कराया रै।
नेषनल कालेज मैं चरचा रोज होवै थी आजादी की
गोरयां के कारनामे सुणते कथा देष की बर्बादी की
इन्कलाब जिन्दाबाद का सबनै मिलकै नारा लाया रै।
रणबीर हाथ जोड़ लिखूं घर छोडया माफ करियो
कदे बांये दांये होज्यां तै मेरी निगरानी आप करियो
आपका ताबेदार भगत सिंह नम्रता से फरमाया रै।
यज्ञोपवित के मौके पै यो पिताजी संदेष सुनाया रै।
देष की आजादी खातर भगत सिंह को दान किया रै
भगत सिंह नै याद राख्या बख्त पै घर छोड़ दिया रै
प्रतिज्ञा पूरी करण नै खुषी तैं आगै कदम बढ़ाया रै।
इसतैं पहलम दादी नै ब्याह की दाब बनाई थी रै
मतना दाब बनावै दादी दिल की बात बताई थी रै
जिब पार ना बसाई तै पिता को प्रण याद कराया रै।
नेषनल कालेज मैं चरचा रोज होवै थी आजादी की
गोरयां के कारनामे सुणते कथा देष की बर्बादी की
इन्कलाब जिन्दाबाद का सबनै मिलकै नारा लाया रै।
रणबीर हाथ जोड़ लिखूं घर छोडया माफ करियो
कदे बांये दांये होज्यां तै मेरी निगरानी आप करियो
आपका ताबेदार भगत सिंह नम्रता से फरमाया रै।
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